विवाद से विश्वास क्या है और आप इसका कैसे लाभ उठा सकते है ?
विवाद से विश्वास स्कीम: डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास बिल, 2020 लोकसभा में पारित हो चुका है और यह मोदी सरकार की एक ऐसी योजना है, जिससे डायरेक्ट टैक्स के लाखों विवाद निपट सकते हैं.
विवाद से विश्वास योजना के मुख्य तथ्य
- यह एक माफ़ी योजना है जो उन विवादों से सम्बंधित है जो आय कर अपीलीय ,आय कर अपीलीय ट्रिब्यूनल (Income Tax Appellate Tribunals – ITAT), उच्च न्यायालयों, सर्वोच्च न्यायालय तथा अंतर्राष्ट्रीय पंचाटों में लंबित चले आ रहे हैं.
- विवाद से विश्वास योजना के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति मार्च 31 जो अब बढ़ कर अब ३० जून हो गयी है तक अपने लंबित करों का भुगतान कर देता है तो उसको पूर्ण रूप से ब्याज और दंड से मुक्ति मिल जायेगी.
- इस योजना का उद्देश्य उन करदाताओं को लाभ पहुँचाना है जिनके मामले अनेक मंचों पर फँसे पड़े हैं. जैसे (CIT(A), आय कर अपीलीय ट्रिब्यूनल(ITAT) इत्यादि)
- यदि करदाता मार्च 31-तक प्रत्यक्ष करों का भुगतान नहीं कर पायेगा तो उसको फिर जून 30-तक का समय दिया गया है जिसके लिए उसे अब कोई अतिरिक्त कर नहीं देना होगा.
- यदि मात्र ब्याज और दंड पर विवाद है तो करदाता को विवादित राशि का 25% जून 30 तक भुगतान करना पड़ेगा
कौन कौन इसका लाभ उठा सकता है ?
बिल के अनुसार, 31 जनवरी 2020 तक जो मामले कमिश्नर (अपील), इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित थे, या उनमे आर्डर पास हो गया है पर उनमे अभी भी अपील करने की डेट बाकि है वो भी इसका लाभ उठा सकते है उन टैक्स के मामलों पर यह स्कीम लागू होगी. लंबित अपील टैक्स विवाद, पेनाल्टी या ब्याज से जुड़ी हो सकती है. एसेसमेंट या रीएसेसमेंट से भी इसका नाता हो सकता है I
कब तक खुली रहेगी स्कीम?
योजना 30 जून 2020 तक खुली रहेगी. विवाद से विश्वास विधेयक को शीघ्र पारित कराना जरूरी है क्योंकि ब्याज और जुर्माने से छूट लाभ लेने की अंतिम तिथि ३० जून है.
कैसे करें आवेदन
- करदाता विवाद से विश्वास डेक्लेरेशन फॉर्म में सभी जरूरी जानकारियां भरकर फोरम में जमा कराएं.
- इसके बाद आयकर विभाग की ओर से 15 दिनों के भीतर प्रमाण पत्र जारी हो जाएगा जिसमें योजना के तहत कुल देय राशि का खुलासा होगा.
- करदाता को प्रमाण पत्र मिलने के 15 दिनों के भीतर उसमें बताई राशि जमा करानी होगी.
- इसकी जानकारी एक तय फॉर्म में भरकर वापस आयकर विभाग के साथ साझा करनी होगी.
- इसके बाद करदाता को भुगतान किए जाने से संबंधित एक आदेश जारी कर दिया जाएगा.
- इस आदेश को देश या विदेश की किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी.